छात्राओं के स्वास्थ्यवर्धन, शरीर में स्फूर्ति, पारस्परिक सहयोग आदि भावनाओं को पुष्ट करने के लिए प्रतिभास्थली खेल एवं उसके प्रशिक्षण में हमेशा अग्रणी भूमिका का निर्वहन करती है। प्रतिभास्थली में सभी प्रकार के INDOOR एवं OUTDOOR GAME सम्मिलित हैं।
खेलमपुष्टगात्रस्य बुद्धिस्तेजो यशोबलम।
प्रवर्दन्ते मनुषस्य तस्माद्व्यायामचरेत।।
खेल एवं व्यायाम से शरीर पुष्ट होता है, उनकी बुद्धि, शरीर का तेज, यश और बल बढ़ जाता है। छात्रों के शरीर की प्रकृति एवं शरीर संवर्धन हेतु खेलकूद आवश्यक है।
प्रवर्दन्ते मनुषस्य तस्माद्व्यायामचरेत।।
खेल एवं व्यायाम से शरीर पुष्ट होता है, उनकी बुद्धि, शरीर का तेज, यश और बल बढ़ जाता है। छात्रों के शरीर की प्रकृति एवं शरीर संवर्धन हेतु खेलकूद आवश्यक है।
“फुर्तीले शरीर में व्यवहारशील मस्तिष्क”
प्रतिभास्थली में घरेलू खेल, द्वन्द खेल, खेल दिवस, प्राणायाम तथा योगा आदि के माध्यम से छात्राओं को खेल खेलने के लिए उचित वातावरण दिया जाता है। जिससे उनमे खेल भावना के साथ-साथ, सहनशीलता, साहस, परिश्रम, धैर्य आदि गुणों का भी विकास होता है।
प्रतिभास्थली में घरेलू खेल, द्वन्द खेल, खेल दिवस, प्राणायाम तथा योगा आदि के माध्यम से छात्राओं को खेल खेलने के लिए उचित वातावरण दिया जाता है। जिससे उनमे खेल भावना के साथ-साथ, सहनशीलता, साहस, परिश्रम, धैर्य आदि गुणों का भी विकास होता है।