स्वस्थ वन की महानतम भावना का प्रतिपल सृजन छात्राओं के जीवन में प्रतिभास्थली द्वारा किया जाता है। “वसुधैव कुटुम्बकम” मनुष्य ही नहीं अपितु पेड़-पौधे, फूल, फल, प्राणी आदि सब इस प्रकृति के घटक हैं। प्रकृति की गोद में छात्राओं को निरंतर विभिन्न गतिविधियों द्वारा जोड़ा जाता है, प्रकृति से उनका संप्रेषण एवं संवाद कराया जाता है।
विद्यालय में ही गौ-सेवा, वृक्षारोपण, सफाई, पक्षियों की सेवा-सुश्रुषा करना, गायों को चारा, औषधि, गुड़ खिलाना, पौधों में पानी सिंचन आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। उन्हें प्राकृतिक वातावरण की सैर कराई जाती है। प्रकृति के माध्यम से ही हमारी एवं समस्त विश्व की रक्षा, संवर्धन एवं पोषण होता है , उसकी रक्षा करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है , प्रतिभास्थाली में उन्हें उनके कर्त्तव्य के प्रति प्रतिपल जागरूक किया जाता है।