“शिक्षा का उद्देश्य मात्र शिक्षित होना नहीं बल्कि आत्मनिरीक्षण करना है।”
प्रतिभास्थली का पाठ्यक्रम शब्दों में सहेजना असंभव कार्य है। यह प्रतिभास्थली संकल्पना सहआवासीय गुरुकुल है इसमें वह चेतन प्रतिभा के निर्वाह से निर्माण तथा निर्माण से निर्वाण तक की समस्त शिक्षा, संस्कार उसे प्रदान करने का दायित्व लिए हुए है।
यहाँ बालकेंद्रित, सकारात्मक, तनावमुक्त उनके जीवन में हल्के से स्पर्श करती हुई शिक्षा को प्रदान करती है। जो नवीनता में ढली है CBSE बोर्ड के माध्यम से वर्तमान युग की शिक्षा को उर्ध्वमुखी बनाने, उनका जीवन स्वाश्रित बनाने 72 कलाओं का प्रशिक्षण देती हैं। उनमे प्रमुख है-वाक् कला (अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत) और (योग, प्राणायाम, एरोविक्स) हस्तशिल्प कला (हथकरघा, मिट्टी बर्तन प्रशिक्षण ) तथा प्रकांड विदुषियों द्वारा गणित, विज्ञान आदि विषयों के गर्भ को प्रयोग द्वारा सिखाकर उन्हें अनुभूति की कसौटी पर तराशते हैं। साथ ही आध्यात्मिकता, नैतिकता को प्रमुख उद्देश्य लेकर संस्कारित किया जाता है।
यहाँ की छात्रा गमले का पौधा न बनकर विशाल वट वृक्ष का रूप धारण करती है।
यहाँ विविध प्रतियोगी परीक्षाओं का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यहाँ की शिक्षा योग-प्रयोग, अनुभव-अनुभूति तथा जीवनोपयोगी पर आधारित है।