गुरु पूर्णिमा के पावन-पुनीत अवसर पर डोंगरगढ़ में आचार्य भगवन संत शिरोमणि महाश्रमण विद्यासागर जी महामुनिराज के अद्भुततम, दुर्लभ दर्शन का अवसर प्रतिभास्थली की छात्राओं को प्राप्त हुआ। जहां उन्होंनें आचार्य भगवन की वीतराग मुद्रा के दर्शन कर अपने नयनों को तृप्त किया। उनकी दिव्यध्वनि सम दिव्य देशना को श्रवण कर छात्राओं को नवीन दिशाबोध की प्राप्ती हुई। उनके आत्मप्रदेशों का प्रत्यक्ष साक्षात्कार होने से छात्राओं का मन गदगद हो उठा।
गुरुपूर्णिमा पर गुरु आशीष पाने के बाद छात्राएं बीनाबारहा तीर्थक्षेत्र की वन्दना हेतु गयीं। यात्रा के ये क्षण उनके स्मृतिपटल पर दीर्घकाल तक अंकित रहेंगे।