प्रतिभास्थली, जैनाचार्य 108 विद्यासागरजी महाराज की असीम कृपा और दूरदृष्टि से पल्लवित पुष्पित व फलित भारत-भर में अनूठा व अद्वितीय कन्या आवासीय शिक्षण संस्थान है।
यह संस्थान आज के आधुनिक परिवेश में प्राचीन गुरुकुलों की स्मृति को पुनः जीवंत कर रहा है।
प्रतिभास्थली विद्यालय, संस्कारों के गवाक्ष से गुरुकुल पद्धति पर आधारित प्राचीन काल की संस्कृति, शिक्षा मंदिर, शील मंदिर, संस्कार मंदिर का एक अदभुत शिक्षण केंद्र हैं, जिसमें उत्थान की अनंत संभावनाओं के रहस्य उत्घाटित करने का “आवासीय शिक्षण संस्थान” हैं। जिसमें कन्याओ के उज्जवल भविष्य को साकार करने का अनूठा अद्वितीय प्रयास है।
राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रतिभास्थली की छात्राओं ने जिला स्तरीय हॉकी, बैडमिंटन, बेसबॉल, दौड़ आदि सभी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया। छात्राओं के शानदार प्रदर्शन से उन्हें आगे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया।
छात्राओं को प्रतिभास्थली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं...
14 सितम्बर 2022, राष्ट्रीय हिंदी दिवस के अवसर पर प्रतिभास्थली में हिंदी के गौरव को सम्मान देते हुए अनेकों कार्यक्रमों एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। छात्राओं ने राष्टसंत कवि गुरुवर विद्यासागरजी महाराज के विचारों एवं हिंदी भाषा के घटते सम्मान से होने वाली पीड़ा को प्रस्तुत किया। इसी के साथ ही मातृभाषा के सम्मान के लिये भी जागरूक किया।
अहिंसा का जयघोष करने वाले वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महा महोत्सव को प्रतिभास्थली में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया, जिसमें कक्षा चौथी से लेकर दसवीं तक की छात्राओं ने भगवान महावीर स्वामी का गुणानुवाद करते हुए उनके शुभ संदेश "जियो और जीने दो" पर भावभीनी प्रस्तुतियाँ दी।
होली का त्यौहार जिंदगी को प्रेम और एकता के साथ जीने का संदेश प्रेषित करता है। रंगो का यह त्यौहार प्रतिभास्थली में बड़े खास अंदाज में मनाया गया। रंग पंचमी पर्व पर स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद लेते हुए छात्राओं ने बड़ी धूम-धाम से विविध प्रतियोगिताओं के द्वारा प्रतिभास्थली परिसर में होली उत्सव मनाया।
हमारे आचार्य भगवन् श्री विद्यासागर जी महाराज के अनुसार भारतीय शिक्षा का उद्देश्य छात्र/छात्राओं का सर्वांगीण विकास करना होता है इसलिए प्रतिभास्थली में खेल को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इस वर्ष प्रतिभास्थली में खेल दिवस पर हॉकी, बैडमिंटन, क्रिकेट, शतरंज, दौड़, कैरम आदि खेलों को शामिल किया गया।
प्रतिभास्थली की पुण्य धरा पर चैत्र कृष्ण नवमी को युग के प्रवर्तक आदिम तीर्थंकर आदिनाथ भगवान जिन्होंने युग को असि, मसि, कृषि, शिल्प, विद्या, वाणिज्य जैसे षट्कर्म का उपदेश देकर जीवन जीने की कला सिखाई ऐसे तीर्थंकर भगवान के जन्म कल्याणक महा महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
शिक्षा का कार्य व्यक्तित्व का संपूर्ण तथा सर्वांगीण विकास करना है। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक आदि पहलुओं के विकास से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सकता हैं। इन पहलुओं के विकास के लिए ही पाठ्यसह्गामी क्रियाएँ शिक्षा का अनिवार्य एवं अभिन्न अंग है।