प्रतिभास्थली, जैनाचार्य 108 विद्यासागरजी महाराज की असीम कृपा और दूरदृष्टि से पल्लवित पुष्पित व फलित भारत-भर में अनूठा व अद्वितीय कन्या आवासीय शिक्षण संस्थान है।
यह संस्थान आज के आधुनिक परिवेश में प्राचीन गुरुकुलों की स्मृति को पुनः जीवंत कर रहा है।
प्रतिभास्थली विद्यालय, संस्कारों के गवाक्ष से गुरुकुल पद्धति पर आधारित प्राचीन काल की संस्कृति, शिक्षा मंदिर, शील मंदिर, संस्कार मंदिर का एक अदभुत शिक्षण केंद्र हैं, जिसमें उत्थान की अनंत संभावनाओं के रहस्य उत्घाटित करने का “आवासीय शिक्षण संस्थान” हैं। जिसमें कन्याओ के उज्जवल भविष्य को साकार करने का अनूठा अद्वितीय प्रयास है।
१५ अगस्त २०२३, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झाँसी की रानी के जय जयकारों से प्रतिभास्थली परिसर गूंज उठा। भारत भूमि को प्रणाम करते हुए बाल कलाकारों ने रानी अहिल्या और शांतला के रूप में मंच संचालन किया गया। छात्राओं द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य, पराक्रम एवं साहस की अद्भुत झलकियाँ प्रस्तुत की गयी।
दिसंबर २०२२ में आयोजित ओलम्पियाड परीक्षा में कक्षा दसवीं की छात्राएँ सृष्टि(विज्ञान), सरगम(चित्रकला) और हर्षिता जैन (अंग्रजी और निबंध) राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिन्हें २००० रु की छात्रवृत्ति, प्रमाण पत्र व मैडल प्रदान किए गये।
राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर प्रतिभास्थली की छात्राओं ने जिला स्तरीय हॉकी, बैडमिंटन, बेसबॉल, दौड़ आदि सभी खेल प्रतियोगिताओं में भाग लिया। छात्राओं के शानदार प्रदर्शन से उन्हें आगे राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया।
छात्राओं को प्रतिभास्थली परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं...
अहिंसा का जयघोष करने वाले वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्याणक महा महोत्सव को प्रतिभास्थली में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया गया, जिसमें कक्षा चौथी से लेकर दसवीं तक की छात्राओं ने भगवान महावीर स्वामी का गुणानुवाद करते हुए उनके शुभ संदेश "जियो और जीने दो" पर भावभीनी प्रस्तुतियाँ दी।
शिक्षा का कार्य व्यक्तित्व का संपूर्ण तथा सर्वांगीण विकास करना है। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक आदि पहलुओं के विकास से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सकता हैं। इन पहलुओं के विकास के लिए ही पाठ्यसह्गामी क्रियाएँ शिक्षा का अनिवार्य एवं अभिन्न अंग है।