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परिचय

प्रतिभास्थली, जैनाचार्य 108 विद्यासागरजी महाराज की असीम कृपा और दूरदृष्टि से पल्लवित पुष्पित व फलित भारत-भर में अनूठा व अद्वितीय कन्या आवासीय शिक्षण संस्थान है।
यह संस्थान आज के आधुनिक परिवेश में प्राचीन गुरुकुलों की स्मृति को पुनः जीवंत कर रहा है।

हमारी प्रेरणा

परम पूज्य 108 दिगम्बराचार्य
परदुखवैरी, जगतशरण प्रदाता, राष्ट्रपुरुष,
चेतन प्रतिभास्थली के सर्वेसर्वा
आचार्य परमेष्ठी विद्यासागरजी महामुनिराज

हमारा आदर्श

मनुजो मानवो भूयात् ।
भारत: प्रतिभारत:॥
मनु से उत्पन्न मानव सर्वगुणों से संपन्न हो,
मानवता प्राप्त करके भारत प्रतिभा में निमग्न रहे।

हमारा उद्देश्य

हित का सृजन अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।
इसी उद्देश्य को पूर्ण करने आचार्यश्रीजी महाराज के श्रीमुख से विश्व कल्याण की भावना से एक स्वस्थ शिक्षा योजना का प्रतिपादन हुआ जिसके सात आधार स्तम्भ है।

यहाँ पर जीवन का निर्वाह नहीं निर्माण होता है।



प्रतिभास्थली विद्यालय, संस्कारों के गवाक्ष से गुरुकुल पद्धति पर आधारित प्राचीन काल की संस्कृति, शिक्षा मंदिर, शील मंदिर, संस्कार मंदिर का एक अदभुत शिक्षण केंद्र हैं, जिसमें उत्थान की अनंत संभावनाओं के रहस्य उत्घाटित करने का “आवासीय शिक्षण संस्थान” हैं। जिसमें कन्याओ के उज्जवल भविष्य को साकार करने का अनूठा अद्वितीय प्रयास है।


प्रवेश

समाचार और घटनाक्रम

प्रतियोगिता में मारी बाजी

गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुलिस लाइन स्टेडियम, ललितपुर में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ ललितपुर ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। छात्राओं द्वारा हमारी शूरवीर योद्धा, वीरांगना झाँसी की रानी की शौर्यता व वीरता का दृश्य प्रस्तुत किया गया।

गणतंत्र दिवस 2024

प्रतिभास्थली में ७५वाँ गणतंत्र दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ हुई। कक्षा ५वीं की छत्राओं द्वारा प्रस्तुत भरतनाट्यम ने सभी का मन मोह लिया। इसके बाद शिवाजी महाराज की वीरगाथा, १८५७ की क्रांति (मंगल पांडे को फांसी) जलियाँवाला बाग हत्याकांड, भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु को फाँसी तथा महात्मा गाँधी जी के देश को आजाद कराने के प्रयास आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया गया कि कितनी मुश्किल से हमने आजादी पाई है।

रानी लक्ष्मीबाई के पराक्रम की गाथा

१५ अगस्त २०२३, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झाँसी की रानी के जय जयकारों से प्रतिभास्थली परिसर गूंज उठा। भारत भूमि को प्रणाम करते हुए बाल कलाकारों ने रानी अहिल्या और शांतला के रूप में मंच संचालन किया गया। छात्राओं द्वारा भारत के स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य, पराक्रम एवं साहस की अद्भुत झलकियाँ प्रस्तुत की गयी।

पुरस्कार वितरण समारोह

दिसंबर २०२२ में आयोजित ओलम्पियाड परीक्षा में कक्षा दसवीं की छात्राएँ सृष्टि(विज्ञान), सरगम(चित्रकला) और हर्षिता जैन (अंग्रजी और निबंध) राज्य स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया। जिन्हें २००० रु की छात्रवृत्ति, प्रमाण पत्र व मैडल प्रदान किए गये।

आओ और सीखें

शिक्षा का कार्य व्यक्तित्व का संपूर्ण तथा सर्वांगीण विकास करना है। शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, संवेगात्मक, आध्यात्मिक आदि पहलुओं के विकास से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सकता हैं। इन पहलुओं के विकास के लिए ही पाठ्यसह्गामी क्रियाएँ शिक्षा का अनिवार्य एवं अभिन्न अंग है।