हमारा उद्देश्य
“हित का सृजन अहित का विसर्जन यही शिक्षा का लक्षण है।”
उद्देश्य किसी भी लक्ष्य प्राप्ति के छोटे पायदान के रूप में हमेशा से हम सामने रखते आये हैं। प्रतिभास्थली जो कि संस्कारस्थली हैं उसमें परम लक्ष्य हैं व्यक्ति का सर्वांगीण विकास होकर उसका नव निर्माण हो जिससे जीवन की सार्थकता उसे प्राप्त हों। इसके लिए गुरुवर ने 7 महत्वपूर्ण आधार स्तंभ दिए हैं।