हमारा इतिहास

वर्तमान में गुरुकुल शिक्षा पद्धति पर आधारित आचार्य भगवन् युग प्रवर्तक, श्री विद्यासागरजी महाराज के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ, जिसका शुभारंभ जून २००६ में जबलपुर नर्मदा के तीर पर स्थित तिलवारा घाट की पुण्य भूमि पर हुआ था, आगे वह बीज क्रमशः २०१२ में डोंगरगढ़ एवं २०१४ में रामटेक की उपजाऊ भूमि पर बोया गया, इसी उज्जवल परंपरा को साथ लेकर उसमें नया रंग भरने के लिए १८ जून २०१८ को इंदौर (मध्यप्रदेश) एवं पपौराजी (टीकमगढ़) में एक साथ दो शाखाओं का शुभारंभ हुआ।

आगे चलकर आखिर पुण्य था ललितपुर दयोदय गौशाला की धरा का, पपौराजी प्रतिभास्थली का स्थानांतरण ललितपुर की गौशाला में हुआ, जहाँ वर्तमान में आचार्य भगवन् की असीम अनुकंपा एवं आशीर्वाद से कक्षा चौथीं से कक्षा दसवीं तक ३०० से अधिक छात्राएँ अध्ययनरत हैं। यह पंचम प्रतिभास्थली गुरुकुल परंपरा को शाश्वत चिरस्मरणीय बनाने एवं स्वर्णिम भारत को पुनः लौटाने के लिए आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है।