विद्यालय प्रांगण

जिनालय

जिनेंद्र भगवान, जिन्होंने पाँचों इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर मोक्ष रूपी शाश्वत सुख को शिरोधार्य किया है, अनंत गुणों के धारी जिनेंद्र भगवान जिन्होंने स्व और पर के कल्याण का मार्ग बतलाया है, ऐसे वीतरागी प्रभु के इन गुणों की प्राप्ति हेतु हम जिनबिंब के दर्शन करते हैं, उनके आलय को ही जिनालय या जिन मंदिर कहते हैं जो हमारे लिए आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
ललितपुर में दयोदय के इस विशाल परिसर में अतिशय मनोहर पवित्र स्थान जहाँ जाकर परम शांति का अनुभव होता है, ऐसा सुंदरतम, पत्थरों से निर्मित, ध्रुव तारा की भाँति 1008 मूलनायक श्री मुनिसुव्रतनाथ जी भगवान का जिन मंदिर है जहाँ  की सुंदरता अकथनीय, अवर्णनीय है। जहाँ प्रभु भक्ति, वंदना, अर्चना, पूजन आदि क्रियाएँ छात्राओं द्वारा की जाती हैं।
मानस्तंभ एक अनूठी कलाकृति है जहाँ चतुर्मुखी जिन भगवान मानो "साक्षात समवसरण लगा है और जैसे चारों ओर से भगवान का आशीर्वाद बरस रहा है" ऐसा प्रतीत होता है। हम भी उनकी तरह बन जावे इसी भावना से भगवान के चरणों में कोटिश: नमन्।

सरस्वती मंदिर

विद्यालय वह पवित्र स्थान है जहाँ कक्षा कक्ष में गुरु-शिष्य के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान होकर शिष्य के जीवन को एक नया आकार प्राप्त होता है। शिक्षक कुंभकार की भाँति उचित वातावरण देकर विद्यार्थी को जीवन की वास्तविकता से परिचय करा कर उसके व्यक्तित्व को एक नया आयाम प्रदान करता है। शहर की चकाचौंध से दूर सुंदर, मनोरम, शांत एवं प्राकृतिक, दयोदय गौशाला में स्थित प्रतिभास्थली, जहाँ का भवन संस्कार युक्त शिक्षा का शंखनाद करता है।
सर्वांगीण विकास के समस्त पहलुओं पर पहल करता है यह विद्यालय परिसर, जो प्रतिभास्थली का प्रमुख केंद्र बिंदु है। सरस्वती मंदिर में आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित प्राचार्या कक्ष, कक्षा कक्ष, समस्त विषयों की भव्य प्रयोगशालाएं, पाठशाला, संगीत कक्ष, संगणक कक्ष(computer lab), खेल प्रांगण एवं सरस्वती मंदिर अर्थात पुस्तकालय आदि स्थित हैं।
विद्यालय में छात्राओं को भौतिक पढ़ाई के साथ-साथ अन्य सभी जीवन उपयोगी कलाओं का प्रतिभा संपन्न शिक्षिकाओं द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है जो अनुभवी एवं समर्पित हैं, ऐसी कर्तव्यरत शिक्षिकाओं द्वारा छात्राओं का सर्वांगीण विकास होता है।

सरस्वती भवन

आचार्य भगवन् का कहना है "बहुत नहीं, बहुत बार पढ़ने से ज्ञान का विकास होता है।"
इसी उद्देश्य को लेकर प्रतिभास्थली में विशाल सरस्वती भवन है जहाँ विविध प्रकार की संदर्भ पुस्तकें, शब्दकोश, नैतिक, सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक, भौगोलिक, ऐतिहासिक, धार्मिक आदि सभी विषयों से संबंधित लगभग 5000 पुस्तकें हैं। इसके साथ ही विभिन्न विषयों की सीडी, डीवीडी एवं आधुनिक डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध है। सरस्वती भवन में प्रतिदिन समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, एजुकेशनल मासिक पत्रिकाएँ एवं प्रसिद्ध समसामायिक विषयों की जानकारी देने वाले अनेक संस्करण उपलब्ध कराए जाते हैं।
पुस्तकालय में विद्यार्थी अपने ज्ञान का वर्धन पुस्तकों के माध्यम से करता है, जहाँ उनको महापुरुषों एवं दार्शनिकों के विचारों से अवगत कराया जाता है। छात्राओं के मस्तिष्क को यहाँ पौष्टिक एवं सात्विक ज्ञान प्राप्त होता है इसलिए यह पुस्तकों का मंदिर पुस्तकालय आवश्यक होता है। प्रतिभास्थली में पुस्तकालय को सरस्वती भवन नाम दिया गया है।

घर से दूर अपना घर

घर केवल सीमेंट व ईटों से ही नहीं बनता, घर बनता है अपनों के अपनेपन से, स्नेह के धागों से, जहाँ स्वतंत्रता होती है, जीवन की छोटी से बड़ी प्रत्येक  क्रिया जहाँ संपन्न होती हैं, हित का सृजन होता है वह होता है "अपना घर"। प्रतिभास्थली में भी एक ऐसा ही अद्वितीय घर होता है जिसे हम छात्रावास भी कहते हैं जहाँ छात्राएँ अपने माता पिता से दूर रहकर भी घर जैसा ही अपनापन महसूस करती हैं।
अभी लगभग 400 छात्राएँ यहाँ अपनी दीदीयों के साथ प्रातः कालीन बेला से लेकर संध्याकाल तक की सभी गतिविधियों में संलग्न रहती हैं। यहाँ छात्राएँ एकता, विनय, वात्सल्य के साथ अनुशासित जीवन जीने की कला सीखती हैं। समूह में रहने से, वैयावृत्ति आदि करने से छात्राओं में आपसी सहयोग के गुण पल्लवित होते हैं।
यह छात्रावास समस्त सुविधाओं से परिपूर्ण है प्राकृतिक सुंदरता एवं शांत वातावरण में स्थित है, जिसमें सभी छात्राएं आपस में मिलकर प्रेम से रहती हैं।



प्रयोगशालायें

"अनुभव सबसे बड़ा शिक्षक है"
किताबी ज्ञान को जब तक वास्तविक अनुभव का जोड़ नहीं मिलता तब तक ग्रहण किया हुआ ज्ञान भार मात्र  ही रहता है। आचार्य भगवन् अनुभवजन्य  ज्ञान को ही वास्तविक ज्ञान मानते हैं। करके सीखना  अर्थात जीवनोपयोगी शिक्षण केवल प्रयोगों के माध्यम से ही संभव है।  प्रयोग के द्वारा छात्राओं का ज्ञान सृजनात्मक बन जाता है जिससे उन्हें शिक्षण कार्य में रुचि पूर्ण तथा रचनात्मक अनुभव प्राप्त होते हैं। 
सर्वांगीण विकास हेतु प्रतिभास्थली में सभी सुविधाओं से सुसज्जित भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला, रसायन विज्ञान प्रयोगशाला, जीव विज्ञान प्रयोगशाला, संगणक प्रयोगशाला (computer lab) के साथ-साथ गणित, भूगोल, इंग्लिश प्रयोगशाला, पाकशाला आदि समस्त प्रयोगशालाएँ हैं। प्रयोगशाला के माध्यम से छात्राओं को पुष्ट तथा प्रामाणिक ज्ञान प्रदान कराया जाता है।

पायसपूर्णा

पायस का अर्थ है दूध अर्थात गौरस या क्षीरान्न इससे जो संपूर्ण है वह है "पायसपूर्णा" आचार्य भगवन् ने अपने श्री मुख से प्रतिभास्थली की भोजनशाला को नाम दिया है "पायसपूर्णा"  प्रतिभास्थली में पायसपूर्णा में आहार को ही औषधि बनाया जाता है। लगभग 250 से 300 छात्राएँ एक साथ बैठकर शुद्ध, सात्विक, पोषक आहार को मौन पूर्वक ग्रहण करती हैं। यहाँ दीदीयाँ मातृत्व के अपनत्व से छात्राओं के लिए भोजन तैयार कराती हैं एवं उन्हें उसी प्रेम से परोसती भी हैं।
पायसपूर्णा आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। सभी को स्वास्थ्य लाभ हो, उनका पोषण एवं संवर्धन हो, ऐसा पोषक आहार उन्हें दिन में 5 बार प्रदान किया जाता है जो उनमें सकारात्मक एवं सात्विक भावों को जन्म देता है, उन्हें निर्विकार बनाता है। जिसमें नाश्ता, भोजन, फल, दूध आदि सभी सम्मिलित हैं।  यहाँ स्वाद एवं स्वास्थ्य के साथ-साथ वातावरण को ध्यान में रखते हुए शुद्ध सामग्री दी जाती है।

मनोरंजन उद्यान एवं बाल क्रीडांगण

प्रतिभास्थली में छात्राएँ जब अपने विद्यालयीन गतिविधियों के श्रम से थकान का अनुभव करती हैं तब उनकी थकान को दूर करने के लिए मनोरंजन के रूप में खेल तथा गतिविधियों का सहारा लिया जाता है। क्रीड़ांगण में छात्राएं नियमित खेलकूद करती हैं जिससे वह तंदुरुस्त व तरोताजा रहती हैं, उनमें सामूहिकता, अनुशासन, धैर्य, मर्यादा, नेतृत्व जैसे मानवीय गुणों का विकास होता है।
मनोरंजन उद्यान में मनमोहक हरियाली में चारों ओर आम के वृक्ष हैं, छोटे-बड़े कई प्रकार के झूले, सरकपट्टी, हवाई चेयर आदि मनोरंजन के साधन उपलब्ध हैं। यह मनोरंजन उद्यान बच्चों का सबसे प्रिय स्थान है, जहाँ वे खेल-खेल में जीवन के महत्वपूर्ण मूल्यों को आत्मसात कर लेते हैं।

अपना बाज़ार

प्रतिभास्थली आवासीय विद्यालय है जहाँ  उसका अपना एक बाजार होता है, जिसका हर छात्रा को आकर्षण रहता है। अपने बाजार में छात्राएँ निर्धारित समय पर आकर अपनी आवश्यक वस्तु उचित मूल्य पर प्राप्त करती हैं।
यहाँ सभी प्रकार की स्टेशनरी, जनरल स्टोर, छोटी मोटी सभी उपयोगी वस्तुएँ उपलब्ध रहती हैं जिससे छात्राओं को किसी भी प्रकार की बाधा ना हो। वह प्रतिभास्थली में रहकर भी बाजार, व्यवहार व्यापार आदि का अनुभव करती हैं।